बचल खुचल
न्यू फीचर : व्हाट्सएप्प से करें सही और गलत का चयन

डेस्क | सोशल मीडिया एक ऐसा साधन है जिसके जरिये हम घर बैठे ही सब कुछ जान लेते हैं| हमें दुनिया भर की जानकारियाँ इस प्लैटफॉर्म्स मिल जाती हैं| आजकल घरेलू महिलाएं बच्चे बूढ़े सभी लोग व्हाट्सप नामक ऐप से जुड़े हुए हैं|
इस ऐप से हमारे पास अधिक संदेश भेजे जाते हैं| लेकिन हम इन फारवर्ड संदेशों में से इस चीज का चयन नहीं कर पाते हैं कि कौन सा फेक यानि झूठा है और कौन सा सही|
इसी समस्या को दूर करने क लिए कंपनी ने एक न्य फीचर निकाला है जिसके जरिये हम सही और गलत संदेश में से सही संदेश का पता लगा सकते हैं और वायरल किए गए संदेश में कितनी सच्चाई है|
इस फीचर का नाम है “सर्च द वेब”
इस फीचर का इस्तेमाल कैसे करना है?
व्हाट्सएप्प मैसेज में दिए गए मैग्नीफ़ाइंग डबल टेप करके यह फीचर आज से ही शुरू हो जायगा| जिससे हमें यह पता चल जायेगा कि जो मैसेज अधिक वायरल और बार बार भेजा जा रहा है उस खबर, जानकारी का सोर्स क्या है|
यह फीचर आपको ब्राउज़र के जरिये डाउनलोड करना होगा उसके बाद आप इंटरनेट से उस मैसेज को क्रॉस-चेक कर सकते हैं| यह फीचर एंड्राइड- ios डिवाइस दोनों में उपलब्ध हैं|
बचल खुचल
उन्होंने बचपन में ही कह दिया था इन अंग्रेजों की किताब तो बिलकुल नहीं पढ़ूँगा

पूरा विश्व 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती को मनाता है| “स्वामी विवेकानंद ने राष्ट्र निर्माण और सार्वभौमिक भाईचारे के प्रति युवा शक्ति को बहुत महत्व दिया था। भारत के महान आध्यात्मिक और सामाजिक नेताओं में से एक, स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को सम्मानित करने के लिए12 जनवरी को चुना गया था। इस दिन देश भर में जगह जगह परेड, खेल कार्यक्रम, संगीत, सम्मेलन, स्वयंसेवक परियोजनाओं, और युवा उपलब्धियों के प्रदर्शनों जैसे कार्यक्रम किये जाते हैं| स्वामी विवेकानंद भारत के एक हिंदू भिक्षु थे। स्वामी जी ने 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के बढ़ते भारतीय राष्ट्रवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हिंदू धर्म के कुछ पहलुओं को फिर से परिभाषित और सामंजस्यपूर्ण बनाया। उनकी शिक्षाओं और दर्शन ने इस पुनर्व्याख्या को शिक्षा, विश्वास, चरित्र निर्माण के साथ-साथ भारत से संबंधित सामाजिक मुद्दों पर लागू किया था| स्वामी जी ने पश्चिम में योग को शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | विवेकानंद के अनुसार एक देश का भविष्य उसके लोगों पर निर्भर करता है|
जिसमें कहा गया है कि “मानव-निर्माण मेरा मिशन है।” धर्म इस मानव-निर्माण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, जिसमें “मानव जाति को अपनी दिव्यता का प्रचार करने के लिए, और इसे जीवन के हर आंदोलन में कैसे प्रकट किया जाए|
बचल खुचल
क्यों मनाई जाती हैं ज्योतिराव फुले की जयंती?

२8 नवंबर को 19वीं सदी के हमारे एक भारतीय महान विचारक, समाज सेवी, लेखक ज्योति गोविंदराव फुले की जयंती मनाई जाती है। इन्हें एक महान समाज सुधारक कहा जाता है क्योंकि फुले ने सदैव महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिए कार्य किए थे। इनके जीवन में कुछ मुख्य उद्धेश्य थे। जैसे समाज के सभी वर्गाें को शिक्षा प्रदान करवाना, जाति पर आधारित विभाजन और होने वाले भेदभाव के विरूद्ध आवाज उठाना।
इनका पूरा जीवन स्त्रियों को शिक्षा प्रदान करवाने, बाल विवाह के विरूद्ध, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में, विधवा विवाह का सर्मथन करने में व्यतीत हो गया। फुले समाज को कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। इसलिए ज्योतिराव फुले ने सभी कार्य महिलाओं के हित में किए। वह महिलाओं को स्त्री-पुरूष भेदभाव से बचाना चाहते थे।
जब 19वीं सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। उस समय उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वह समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर रहेंगे। इसलिए उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे मे बनवाई।
सर्वप्रथम बदलाव स्वंय फुले के घर में देखने को मिला। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वंय शिक्षा पदान की थी और वह भारत की प्रथम महिला अध्यिापिका बनी थी।
फुले ने अपने दौर में धर्म समाज, परपराओं के सत्य को सामने लाने के लिए गुलामगिरी, तृतीय रत्न, किसान का कोड़ा, अछुतों की कैफियत फयत, राजा भोसला का पखड़ा नामक कई पुस्तकें लिखी।
फुले तथ उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया था। अंतिम यात्रा से पहले फुले ने भारत में सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी| 28 नवंबर 1890 को ज्योतिराव फुले ने धरती पर अंतिम सांसे ली।
बचल खुचल
आज क्यों मनाई जाती है वाल्मिकी जयंती

वाल्मिकी जयंती रामायण महाकाव्य के रचियता महर्षि वाल्मिकी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वाल्मिकी जी महाकाव्य रामायण के रचियता है। जो 21 भाषाओं में उपलब्ध है। रामायण नामक महाकाव्य के रचियता अर्थात् वाल्मिकी जी को ‘आदिकवि‘ भी कहा जाता है।
वाल्मिकी जयंती के दिन भक्त मदिंरों में जाकर रामायण पढते हैं। इसमें 24000 ष्लोक होते हैं। वाल्मिकी जी का एक प्रसिद्व एंव विख्यात मंदिर तिरूवानतियुर नामक स्थान पर स्थित है। मान्यता है कि यह मंदिर 1300 साल पुराना है।
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