Connect with us

खास खबर

Exclusive : सीएम ऑफिस चूका या साजिश का शिकार बन गया?

mm

Published

on

हरियाणा प्रोगे्रसिव स्कूल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष एसएस गुसाईं को लेकर चल रही अंदरुनी राजनीति तो नहीं कारण

शकुन रघुवंशी
फरीदाबाद। कोरोना काल में लगभग हर धंधा मंदा है लेकिन इन दिनों पब्लिक स्कूलों पर छात्रों की फीस न लेने का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दबाव बनाया जा रहा है। इसी बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के एक ट्वीट ने जैसे बासी कढ़ी में उबाल ला दिया। हालांकि सीएम ऑफिस ने समझदारी दिखाते हुए मामले पर पलस्तर कर दिया, लेकिन सवाल है कि इतनी बड़ी चूक लापरवाही से हुई या सीएम ऑफिस साजिश का शिकार हो गया?

सीएम ऑफिस से जारी पहला प्रेस नोट

अब घटनाक्रम को समझें। दिनांक 16 अप्रैल को सीएम मनोहर लाल ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट की जिस तेजी से हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में चर्चा हुई, उससे पहले शायद ही सीएम के किसी अन्य ट्वीट की हुई हो। सीएम ने उस ट्वीट में फरीदाबाद के सेक्टर 9 स्थित डिवाइन पब्लिक स्कूल द्वारा छात्रों की तीन महीने की फीस माफ करने की प्रशंसा करते हुए अन्य स्कूलों से भी अनुसरण करने की उम्मीद जता दी। बात यहीं नहीं रुकी। सीएम ऑफिस ने इस बारे में तमाम मीडिया को प्रेस नोट भी जारी कर दिया।

स्कूल की सफाई के बाद जारी संशोधित प्रेस नोट

ट्वीट की प्रशंसा बढ़ी तो आवाज डिवाइन स्कूल के संस्थापक एसएस गुसाईं और उनके बेटे व प्रिंसिपल विकास गुसाईं तक भी पहुंची। उन्होंने किसी तरह सीएम ऑफिस से संपर्क कर सही बात रखी। इसके बाद उसी दिन सीएम के पीआर विभाग ने शाम 7.35 बजे जारी प्रेस नोट का संशोधन रात 10.05 बजे पर जारी हो गया और सीएम का ट्वीट भी डिलीट कर दिया। हालांकि अगले दिन कई अखबारों ने पहले वाला ही प्रेस नोट छापा और सोशल मीडिया पर अनगिनत पोस्ट लिखे गए।
लेकिन यह बात इतनी सी नहीं है?
आप इसको इतनी सी बात कहकर अगर खारिज करना चाहते हैं तो कर दीजिए लेकिन ढाई करोड़ जनता वाले प्रदेश में यह बहुत बड़ी बात है। सवाल है कि ढाई करोड़ जनता का नेतृत्व करने वाले सीएम मनोहर लाल की टीम में ऐसे कैसे लोग भर्ती कर लिए हैं जो इतनी बड़ी बात को बिना वैरीफाई किए सीएम के अकाउंट से ट्वीट कर देते हैं और उसके बाद प्रेस नोट भी जारी कर देते हैं। यह सहज प्रेक्टिस है कि सीएम की ओर से जाने वाली हर बात को क्रॉस चैक होना चाहिए। सवाल लाजिमी है कि सीएम की टीम में कहीं नौसिखिए लोग तो भर्ती नहीं कर लिए गए हैं?

स्कूल का पहला विज्ञापन

ट्वीट का आधार क्या था, वो भी जानिए?

विकास गुसाईं

डिवाइन स्कूल के प्रिंसिपल विकास गुसाईं ने बताया कि उन्होंने अगले शैक्षिक सत्र के लिए एक विज्ञापन

बनवाकर डिजिटली प्रचारित किया। जिसमें हैसल फ्री एडमिशन, नो एडमिशन फी, नो एडमिशन टेस्ट सहित अप्रैल मई जून की फीस भी माफ करने की बात लिखी थी।
लेकिन यह सब बाहर से आने वाले छात्रों के लिए प्रचारित किया गया था न कि मौजूदा छात्रों के लिए। बकौल गुसाईं, एडमिशन तो बाहर के छात्रों का ही होता है, न कि मौजूदा छात्रों का। एडमिशन टेस्ट भी बाहर से आने वाले छात्रों का ही होता है। इस बात को सीएम साहब की टीम ने गलत समझ लिया और हमसे क्रॉस वैरीफाई भी नहीं किया। जब इस बारे में हमारे पास फोन आने लगे तो हमने सीएम ऑफिस को बताया, जिसके बाद उन्होंने तुरंत सुधार भी कर लिया।

संशोधित विज्ञापन

विकास गुसाईं का कहना है कि उनके संसाधन बेहद सीमित हैं और वह स्कूल खर्च के लिए छात्रों से मिलने वाली फीस पर निर्भर हैं। ऐसे में वह पूरे स्कूल की तीन महीने की फीस माफ करने की सोच भी नहीं सकते हैं।
यहां ऐसा लगता है कि सीएम की टीम से शायद लापरवाही ही हो गई थी?
लेकिन मामले में एक और पेंच भी है।
वास्तव में डिवाइन स्कूल के संस्थापक एसएस गुसाईं का पूरे प्रदेश की शिक्षक बिरादरी में बड़ा सम्मान है। गुसाईं ने स्कूल बनाने के बाद कभी भी ट्यूशन नहीं पढ़ाया और उन्हें प्रिंसिपल्स वाला व्यक्ति कहा जाता है।
फिलहाल गुसाईं हरियाणा प्रोगे्रसिव स्कूल्स कांफ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं जो हजारों स्कूलों

एस एस गुसाईं

का नेतृत्व करती है। कहा जाता है कि यह प्रदेश के स्कूल्स की सबसे बड़ा संस्था है। सूत्रों का कहना है कि कुछ लोग अंदरखाने कांफ्रेंस में नेतृत्व परिवर्तन की मुहिम चला रहे हैं। लेकिन वह सफल नहीं हो पा रही है। हालांकि गुसाईं के बेटे विकास का कहना है कि वह अपनी सेहत के मद्देनजर अपनी जिम्मेदारी छोडऩा चाहते हैं लेकिन उनके शुभचिंतक उन्हें ऐसा करने से रोकते रहे हैं।
आशंका है कि इन परिवर्तनबाजों ने ही सीएम ऑफिस को डिवाइन स्कूल के विज्ञापन को लेकर भ्रम में डाला और वहां से ट्वीट जारी करवाया। इस ट्वीट के बाद पूरी एचपीएससी में अचानक एसएस गुसाईं घिर गए और उनको जवाब तक देते नहीं बना। सूत्रों का कहना है कि गुसाईं की एचपीएससी बैठक में कोई सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ और उनको अपने सही विज्ञापन में भी सुधार करने के लिए बाध्य किया गया। गुसाईं ने नो मंथली फी फ्रॉम अप्रैल 20 से जून 20 के नीचे विद इन ब्रेकैट्स लिखा – इफ ऑलरेडी पेड इन प्रीवियस स्कूल।
आशंका जताई जा रही है कि एचपीएससी में परिवर्तन की लौ जलाने वाले क्रांतिवीरों ने ही इस ऊहापोह की स्थिति को जन्म दिया होगा? हालांकि हमारी सीएम ऑफिस को सलाह है कि इस मामले की अंदरूनी जांच अवश्य ही करवा लें कि यह ट्वीट केवल लापरवाही था या कोई साजिश का हिस्सा था।

आप सुनिए डिवाइन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विकास गुसाईं का बयान –

खास खबर

देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री नेहरू ने क्या शपथ ली थी

mm

Published

on

आरटीआई कार्यकर्ता एवं गांधीवादी नरेश कादियान ने पूछा देश के पहले प्रधानमंत्री कहे जाने वाले जवाहर लाल नेहरू की शपथ मुहैया करवाए सरकार

शकुन रघुवंशी
फरीदाबाद। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश कादियान जानना चाहते हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी शपथ में क्या कहा था लेकिन उन्हें सरकार, राष्ट्रपति भवन सचिवालय और एनसीईआरटी यह सूचना देने के बजाय यहां से वहां टाल रहे हैं।
कादियान ने यह भी कहा कि यह कैसी सरकार है जो सरकारी जानकारी देने से मना कर रही है। दरअसल कादियान ने केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव से आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन था और उन्होंने अपनी पहली शपथ में क्या कहा था। वह कहते हैं कि आजाद देश के नागरिकों को यह जानने का हक है कि उनका पहला प्रधानमंत्री कहे जाने वाला व्यक्ति अपनी शपथ में क्या कह रहा है। यह जानकारी तो सार्वजनिक होनी चाहिए। लेकिन उनकी आरटीआई को पहले तो राष्ट्रपति भवन सचिवालय को ट्रांसफर कर दिया गया और वहां से रिजेक्ट कर दिया गया। उन्होंने देश में शैक्षिक पाठ्यक्रम तैयार करने वाले एनसीईआरटी ने भी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कह कर जानकारी देने से मना कर दिया है।

राष्ट्रपति भवन सचिवालय ने भी सूचना देने से मना कर दिया 


नरेश कादियान ने बताया कि हमें पढ़ाया जाता है कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने ब्रिटिश राजा के नाम शपथ लेकर अपना प्रधानमंत्रित्वकाल प्रारंभ किया था। जिसका अर्थ स्पष्ट है कि वह ब्रिटिश शासन के प्रधानमंत्री थे न कि आजाद भारत के। कादियान ने यह भी बताया कि 26 जनवरी 1950 के बाद अंग्रेजी हुकूमत में कार्यरत रहे कर्मचारियों अधिकारियों को इंगलैंड जाने के बाद ताउम्र भारत सरकार पैंशन देती रही। जो कि एक प्रकार की गुलामी मानसिकता को दर्शाता है। अथवा अंग्रेजी हुकूमत के निर्देशों को मानना दिखाता है।
कादियान का दावा है कि भारत का पहला प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे जिन्होंने गोवा अधिवेशन में भारत को आजाद और स्वयं को उसका प्रधानमंत्री घोषित किया था। ऐसे में सरकार स्पष्ट कर दे कि वह किसे आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री मानती है। उसे इसमें दिक्कत क्या है। नरेश कादियान पूछते हैं कि यह कैसी राष्ट्रवादी सरकार है जो सामान्य सूचनाएं भी नहीं दे रही है। केवल मेरी आरटीआई को एक जगह से दूसरी जगह भेजकर भटकाया जा रहा है।

एनसीईआरटी से क्या पूछा था नरेश कादियान ने 

1. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की प्रतियाँ प्रदान करें।
2. ब्रिटेन के सम्राट, भारत नामक एक डोमिनियन राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 15-8-1947 को श्री जवाहर लाल और उनके मंत्रिमंडल द्वारा ली गई शपथ की प्रतियाँ प्रदान करें।
3. ब्रिटेन के सम्राट, भारत नामक एक डोमिनियन राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 26-1-1950 को श्री जवाहर 4. लाल और उनके मंत्रिमंडल द्वारा भारतीय संविधान को लागू करने के पश्चात ली गई शपथ की प्रतियाँ प्रदान करें।
हमारी नई पीढ़ी को सत्य सिखाने के लिए पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम की शुरूआत की प्रतियाँ प्रदान करें।

लेकिन एनसीईआरटी ने चारों जानकारियां देने से इंकार कर दिया (copy attached)


नेताजी सुभाष संग्रहालय में भी सारी सूचनाएं हैं, उन्हें कानूनी अमलीजामा पहना दे सरकार
नरेश कादियान का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष संग्रहालय का उद्घाटन किया था। इस संग्रहालय में भी इस बारे में लिखा है कि नेताजी ने स्वयं को आजाद भारत का प्रधानमंत्री घोषित किया था। इसे रिकॉर्ड पर मान लेने में सरकार को क्या दिक्कत है।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि :
आर्यन पेशवा के नाम से मशहूर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान काबुल में रहते खुद को आजाद भारत की कार्यकारी सरकार का राष्ट्रपति और मौलाना बरकतुल्ला खां को प्रधानमंत्री घोषित किया था।

उन्होंने बाद में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी गठित भारतीय कार्यकारी बोर्ड की स्थापना की थी। वह हाथरस रियासत में जन्मे थे और भारत की आजादी के बाद संसद सदस्य भी रहे।
सवाल यह भी है कि
भारत की सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु घोषित कर उन्हें शहीद का दर्जा देने में देरी क्यों कर रही है

जबकि नेताजी के परिजन भी इसके लिए गुहार लगा चुके हैं।

नरेश कादियान के साथ WhiteMirchi’s टेलिफोन वार्ता का ऑडियो

Continue Reading

खास खबर

Exclusive : एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर ठगों की लूट का मायाजाल

mm

Published

on

जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देकर पैसे देने के लिए कर देते हैं मजबूर
उत्तर प्रदेश बिहार के बेरोजगार लडकों ने दुनिया भर में फैलाया ऑनलाइन लूट का कारोबार
व्हाइटमिर्ची डॉट कॉम के अंडर कवर एजेंट ने किया स्टिंग ऑपरेशन

शकुन रघुवंशी
फरीदाबाद। अगर आपको भी दुनिया के पहले जरायम धंधे में स्वाद आता है तो यह खबर आपके लिए ही है। इस बार यदि आप ऑनलाइन देह तलाश रहे हों तो जरा संभल कर रहें। सबसे पहले तो यह कि यह धंधा चूंकि गैरकानूनी है तो आपको कानूनी मदद पाने के लिए बगलें झांकना पड़ सकता है, दूसरा यह कि कोई गारंटी नहीं है कि आपकी रंगीनी आपको कितनी महंगी पड़ सकती है।
व्हाइटमिर्ची टीम को जानकारी मिली थी कि ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस देने वालों के बीच शातिर ठगों ने अपनी पैठ बना ली है। यह वास्तव में हैकर हैं जो आपका नंबर मिलते ही आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में घुस जाते हैं और चुटकियोंं में आपकी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। वह ग्राहक से सौदा कन्फर्मेशन के नाम पर बहुत कम पैसों की मांग करते हैं जो अमूृमन लोग दे बैठते हैं और यहीं से आदमी की गर्दन उनके हाथ आ जाती है।
जैसे ही व्यक्ति ऑनलाइन (यूपीआई के जरिए) पेमेंट करता है, यह हैकर आईपी एड्रेस के जरिए आपका फोन, यूपीआई आदि को हैक कर लेते हैं और, और पैसों की मांग करते हैं। यदि व्यक्ति देने में आनाकानी करता है तो यह सीधे उसे धमकाने पर उतर आते हैं। उसकी जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देने लगते हैं। उसके परिवार के न्यूड फोटो सोशल मीडिया पर, एस्कॉर्ट साइट्स पर वायरल करने की धमकी देने लगते हैं। यहां यह नहीं कहा जा सकता है कि आप उनके दबाव में कहां तक जा सकते हैं।
हमारे एक दर्शक ने हमें उसके साथ भी ऐसा कुछ होने की बात बताकर कुछ करने की दुहाई दी। वह स्वयं भुक्तभोगी था और हजारों रुपया लुटाने के बाद किसी प्रकार हाथ पैर जोडक़र ठगों के चंगुल से बचकर निकला था। हमें एक नंबर दिया गया जिसके जरिए हमारे अंडर कवर रिपोर्टर ने संपर्क साधा और एजेंट से एस्कॉर्ट सर्विस की मांग की। एजेंट ने बहुत सामान्य भाषा में नॉमिनल रेट पर सर्विस देने की बात कही। इतनी मीठी जुबान कि कोई भी फ्लैट हो जाए।
15 मिनट में एस्कॉर्ट को भेजने की बात कहकर एजेंट अपनी वर्किंग एथिक्स पर उतर आया और उसने 500 रुपये कन्फर्मेशन के नाम पर मांगे। जब हमारे रिपोर्टर ने उसे एडवांस पैसे देने से मना कर दिया तो वह रिरियाने लगा, दुहाई देने लगा कि आप पहली बार सर्विस ले रहे हैं तो कन्फर्मेशन अमाउंट तो देना ही होगा, सरजी। आप एक बार सर्विस लेंगे तो जिंदगी भर याद रखेंगे। (रखना ही पड़ता, आई एम जोकिंग)


रिपोर्टर ने उस एजेंट को साफ मना कर दिया और एस्कॉर्ट को ही पूरा पेमेंट देने की बात कही। इस पर ठग अपने असली रूप में आ गया और 500 रुपये देकर मामले को रफा दफा करने की बात कहने लगा। रिपोर्टर ने उसे समझाया कि वह पैसे नहीं देगा। इतना कहते ही ठग रौद्र रूप दिखाने लगा।

पुरबिया भाषा में बोला कि तेरा फोटो एस्कॉर्ट सर्विस में डाल रहा हूं और नंबर पुलिस चौकी में भेज रहा हूं। 2 मिनट वेट कर, 500 पेमेंट करके मैटर क्लोज करो नहीं तो मां चु…वा दंूगा, मादर…द। पेमेंट कैसे करेगा, सो बोल, फास्ट। नहीं तो लाइफ बर्बाद करके रख दूंगा। मादर…द।


देखते देखते हैकर ने मोबाइल नंबर (जो कि रिपोर्टर का नहीं बल्कि कंपनी का नंबर था) से सोशल मीडिया पर संबंधित कुछ फोटो व्हाट्सऐप कर दिए। बोला, इज्जत से बोल रहा हूं बेटा पेमेंट करके मैटर क्लोज करो, नहीं तो तुम्हारा मां चु..वा दूंगा। इसके बाद हैकर ने रिपोर्टर के परिवार की महिलाओं के नाम पर बहुत कुछ गंदा गंदा कहा।
हैकर सांस न ले रहा है और न लेने दे रहा है। लगातार धमका रहा है कि पैसे दे, नहीं तो तेरे को इतने कॉल आएंगे दुनिया भर से कि तेरी जिंदगी नरक हो जाएगी। इसके बाद लगातार मोबाइल बजने लगा। बहुत सारे कॉल, अलग अलग नंबरों से आने लगे। मतलब साफ है कि हैकर उर्फ ठग भाई साहब ने माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी।


लेकिन सबसे पहले तो रिपोर्टर को पता था कि यह नंबर उसका नहीं, कंपनी का है। इसलिए इस नंबर पर उसकी कोई जानकारी साझा नहीं है। बहुत ज्यादा दिक्कत हो भी गई तो कंपनी दूसरी सिम ले लेगी। दूसरी बात, हैकर द्वारा भेजे गए फोटो उस नंबर के साथ एसोसिएटड थे, न कि रिपोर्टर के। तीसरी बात, ऐसे हैकर से हम जिंदगी भर लड़ते आए हैं और अब तो पत्रकारिता भी सोशल मीडिया पर ही हो रही है तो कमोबेश जानते हैं कि कौन हमारा कितना बिगाड़ सकता है।
बरहाल, रिपोर्टर ने ठग भाई साहब को कहा कि अब तो आप गए। आपका नंबर हम साइबर क्राइम को दे रहे हैं। वही आपकी कुंडली निकालेंगे। हालांकि वह इसके बाद भी धमकाता रहा।
खबर का लब्बोलुआव यह है कि आप ऐसे अनैतिक कर्मों से बचें और यदि आपकी नीयति ने इन तक पहुंचा ही दिया है तो बिल्कुल भी घबराएं नहीं। डटकर जवाब दें, अपने परिजनों को बताएं और पुलिस की मदद लें। कैसी लगी हमारी प्रस्तुति, जरूर बताएं और हमारे चैनल को अपना सहयोग दें। इसकी खबरों को लाइक करें, खबरों पर कमेंट करें और खबरों को साझा करें। साथ साथ पेज और चैनल को भी फॉलो करें, सब्सक्राइब करें।

Continue Reading

खास खबर

अम्बेडकर मेधावी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन 20 तक

mm

Published

on

फरीदाबाद। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग, अन्त्योदय एस.ई.डब्ल्यू.एस द्वारा चलाई जा रही डा. बी आर अम्बेडकर मेधावी छात्रवृत्ति संशोधित योजना के वर्ष 2022-23 में छात्र / छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए  ऑनलाइन आवेदन पत्र विभागीय वेबसाईट https://schemes.haryanascbc.gov.in पर प्राप्त करने की अन्तिम तिथि 10 फरवरी 2023 निश्चित की गई थी। अब  20 अप्रैल 2023 त्रुटि दूर करके आवेदन पत्रों को ऑनलाइन कर सकते है।
जबकि वर्ष 2022- 2023 में प्राप्त जिन आवेदन पत्रों में त्रुटि पाई गई थी। ऐसे आवेदन पत्रों को त्रुटि के कारण सहित सैंड बैंक कर दिया गया था। ऐसे छात्र / छात्रा अपने सैंड बैंक आवेदन पत्र में दर्शाई गई त्रुटि को https://schemes.haryanascbc.gov.in की ऑनलाइन साईट पर Citizen Login के ऑप्शन पर जाकर स्वयं व सी०एस०सी० सेंटर / अंत्योदय केंद्र के माध्यम से पर सरल आईडी व पासवर्ड 123456 भरकर अपलोड करवाना सुनिश्चित करें।
जिला कल्याण अधिकारी राजबीर शर्मा ने बताया कि इस दौरान यदि कोई भी छात्र / छात्रा अपने आवेदन पत्र की त्रुटि दूर नहीं कर पाया तो उस आवेदन पत्र को निश्चित तिथि के बाद रद्द माना जायेगा। जिनके लिये निम्न विवरण शर्तों का पालन किया जाना है। उक्त योजना के तहत छात्र/छात्रा द्वारा पास की गई कक्षा की मार्कशीट, रिहायशी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक खाता, अगली कक्षा का आई०डी० कार्ड तथा माता-पिता या अभिभावक की 04 लाख से कम का आय प्रमाण होना अनिवार्य है। निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त आवेदन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जायेगा।
अधिक जानकारी के लिये जिला कल्याण अधिकारी, कार्यालय कमरा न 408-409, चौथी मंजिल लघु सचिवालय सेक्टर 12 में 0129-2285175 पर सम्पर्क करें।

Continue Reading
सिटी न्यूज़1 week ago

53वाँ के.वि.एस. राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन 

खास खबर1 month ago

देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री नेहरू ने क्या शपथ ली थी

सिटी न्यूज़5 months ago

विद्यासागर इंटरनेशनल की विधिशा को मिले 94.6 प्रतिशत अंक

सिटी न्यूज़5 months ago

राष्ट्रहित में करें अपने वोट के अधिकार का प्रयोग – गंगाशंकर

खास खबर11 months ago

Exclusive : एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर ठगों की लूट का मायाजाल

रूह-ब-रूह1 year ago

Seema Haider मुद्दे पर क्या बोले Advocate Rajesh Khatana

सिटी न्यूज़1 year ago

रोटरी क्लब एवं विद्यासागर की जितनी सराहना की जाए वह कम है : राजेश नागर

सिटी न्यूज़1 year ago

नीति और नीयत के खरे बनने की शपथ लें वकील  – राजश्री

सिटी न्यूज़1 year ago

किसने कहा जाति छोडो, भारत जोड़ो | WhiteMirchi

बक Lol1 year ago

आप गली गली हनुमान चालीसा क्यों पढ़ रहे हैं?

रूह-ब-रूह1 year ago

Seema Haider मुद्दे पर क्या बोले Advocate Rajesh Khatana

सिटी न्यूज़1 year ago

किसने कहा जाति छोडो, भारत जोड़ो | WhiteMirchi

बक Lol1 year ago

आप गली गली हनुमान चालीसा क्यों पढ़ रहे हैं?

बक Lol1 year ago

7400 वें हनुमान चालीसा और राजनीति का आपस में क्या कोई रिश्ता है  

सिटी न्यूज़2 years ago

कुंदन स्कूल में IAS जीतेन्द्र यादव रह गए दंग | WhiteMirchi 

सिटी न्यूज़2 years ago

Joshimath के लिए 25 लाख की राहत सामग्री को CM Manohar Lal ने दिखाई झंडी

वाह ज़िन्दगी2 years ago

क्या DIVINE HEALING से सही हो सकती है DIABETES | WhiteMirchi 

सिटी न्यूज़2 years ago

प्राइवेट स्कूल्स में फ्री पढ़ने के लिए टेस्ट 12 फरवरी को 

बक Lol2 years ago

Kissagoi : एक वेश्या का बेटा लड़की बन गया? by Shakun Raghuvanshi

बक Lol2 years ago

वो कौन है और क्यों 35 साल की उम्र में 3 बच्चों संग शादी से बाहर निकल गयी? किस्सागोई by शकुन रघुवंशी

लोकप्रिय