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राहुल जी आप कुछ नया क्यूँ नहीं बोलते

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चुनाव का दौर है कुछ तो कहना है और आज कल तो सबके पास मोदी से अच्छा को विषय ही नहीं है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को मेहसाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कथित तौर जो भ्रष्टाचार के सनसनीखेज आरोप लगाते हुए जो दस्तावेज दिखाए, उन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही ‘शून्य’, ‘काल्पनिक’ और ‘गैर प्रामाणिक’ जैसी संज्ञा दे चुका है।
राहुल के आरोपों में कुछ नया इसलिए नहीं है, क्योंकि इन्हीं सारे आरोपों को लेकर वकील प्रशांत भूषण की याचिका पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए पीएम मोदी ने कॉरपोरेट घरानों से पैसा लिया था। जस्टिस जेएस खेहर और अरूम मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर 25 नवंबर को सुनवाई की थी और कोर्ट ने उनसे पुख्ता सबूत लाने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि बगैर पुख्ता सबूत के वह इस मामले पर सुनवाई के लिए राजी नहीं है।
प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि सहारा और बिड़ला ग्रुप की ओर से बड़े नेताओं और अधिकारियों को करोड़ों रुपये की घूस दी गयी। भूषण का आरोप है कि गुजरात के सीएम रहते हुए पीएम मोदी को सहारा ने अक्टूबर और नवंबर 2013 में करोड़ो रुपये नकद दिए, जिनका उल्लेख सहारा के दस्तावेजों में किया गया है।
जिसके जवाब में जस्टिस खेहर ने कहा, ‘क्या आप सहारा के दस्तावेजों पर भरोसा करते हैं? उनके पास कभी भी वास्तविक दस्तावेज नहीं रहे हैं।’ कोर्ट ने कहा, “कोई भी संदेह जो अंतरात्मा की आवाज से उत्पन्न होता है वह एक अच्छा संदेह है, लेकिन आपके दस्तावेज हमारी अंतरात्मा को नहीं जगा रहे हैं। हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। कोई भी भ्रष्ट व्यक्ति प्रधानमंत्री के नाम पर एंट्री कर सकता है, लेकिन इसे एक विश्वसनीय सबूत के तौर पर नहीं माना जा सकता है।”
भूषण ने यह भी आरोप लगाया था कि बिरला ग्रुप ने करीब 7.8 करोड़ रूपये जनवरी और फरवरी 2012 में यूपीए कार्यकाल के दौरान तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को दिए थे।
इस पर कोर्ट ने कहा था “हम मामले की सुनवाई से बच नहीं रहे हैं, लेकिन इसके लिए हमारे सामने कुछ तथ्य रखे जाने चाहिए। बिड़ला और सहारा समूह के परिसर से जब्त दस्तावेजों में कुछ भी नहीं है। ये हैं शून्य हैं। आपको विश्वसनीय सबूत पेश करने चाहिए।” हालांकि बाद में भूषण ताजा साक्ष्य पेश करने में असफल रहे हैं और कोर्ट से अधिक समय की मांग की।
इसलिए राहुल जी आप से भी गुजारिश है की बोलने के लिए न बोले कुछ नया और सबूत के साथ पेश कीजिये।
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नगर निगम ने फरीदाबाद शहर को बना दिया कूड़े का ढेर – जसवंत पवार

वैसे तो फरीदाबाद शहर को अब स्मार्ट सीटी का दर्जा प्राप्त हो चूका है, परन्तु शहर के सड़कों पर गंदगी के ढेर फरीदाबाद प्रशासन और नगर को आइना दिखा रहे हैं
शहर के अलग अलग मुख्य चौराहों और सड़कों पर पढ़े कूड़े के ढेर को लेकर समाज सेवी जसवंत पवार ने फरीदाबाद प्रशासन और नगर निगम कमिश्नर से पूछा है कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत मुहिम को पूरे देश में चला रहे हैं वही नगर निगम इस पर पानी फेरता दिख रहे हैं फरीदाबाद में आज सड़कों पर देखे तो गंदगी के ढेर लगे हुए हैं पूरे शहर को इन्होंने गंदगी का ढेर बना दिया है। जिसके चलते फरीदाबाद शहर अभी तक एक बार भी स्वछता सर्वेक्षण में अपनी कोई अहम् भूमिका अदा नहीं कर पा रहा, अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारा फरीदाबाद शहर स्वच्छता सर्वे में फिर से फिसड्डी आएगा। साल 2021 में स्वछता सर्वेक्षण 1 मार्च से 28 मार्च तक किया जाना है जिसको लेकर लगता नहीं की जिला प्रसाशन व फरीदाबाद के नेता और मंत्री फरीदाबाद शहर की स्वछता को लेकर बिल्कुल भी चिंतित दिखाई नहीं पढ़ते है।
जसवन्त पंवार ने फरीदाबाद वासियों से अनुरोध और निवेदन किया है अगर हमें अपना शहर स्वच्छ और सुंदर बनाना है तो हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे जहां पर भी गंदगी के ढेर हैं आप वीडियो बनाएं सेल्फी ले फोटो खींचे और नेताओं और प्रशासन तक उसे पहुंचाएं, हमें जागरूक होना होगा तभी जाकर यह फरीदाबाद शहर हमारा स्वच्छ बन पाएगा। आप हमें इस नंबर पर वीडियो और फोटो भेज सकते हैं
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क्यों हर दो महीने में आता है बिजली का बिल?

हम सभी अपने कुछ रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली चीजों के बिलों का भुगतान हर महीने करते हैं। जैसे बैकों की किश्तंे, घर का किराया इत्यादि। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है कि जब हर चीज का भुगतान हम महीने दर महीने करते हैं। तो बिजली के बिल का ही भुगतान हर दो महीने में क्यों?
इस पर बिजली निगम का कहना है कि बिलिंग प्रक्रिया से जुड़ी एक लागत होती है। जिसमें मीटर रीड़िंग की लागत, कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में रीडिंग फीड़ करने की लागत, बिल जेनरेशन की लागत, प्रिंटिग और बिलों को वितरित करने की लागत आदि चीजें शामिल होती हैं। इन लागतों को कम करने के लिए बिलिंग की जाती हैं। इसलिए बिजली बिल 2 महीने में आता है।
फिलहाल बिजली निगम 0-50 यूनिट तक 1.45 रूपये प्रति यूनिट, 51-100 यूनिट तक 2.60 रूपये प्रति यूनिट चार्ज करता है।
आप यह अनुमान लगाइए कि यदि किसी छोटे परिवार की यूनिट 50 से कम आती है। तो उसका चार्ज 1.45 रूपये प्रति यूनिट होगा लेकिन जब बिल दो महीने में जारी होगा। तो उसका 100 यूनिट से उपर बिल आएगा। मतलब साफ है कि उसे प्रति यूनिट चार्ज 2.60 रूपये देना होगा । ऐसे में उस गरीब को सरकार की छूट का लाभ नहीं मिला लेकिन सरकार ने पूरी वाह-वाही लूट ली।
आप यह बताइए जिस घर में सदस्य कम है। तो उस घर की बिजली खपत भी कम होगी और बिल भी कम ही आएगा। मतलब साफ है उपयोग कम तो यूनिट भी कम। यदि बिजली बिल एक महीने में आता है तभी ही तो जनता को इसका लाभ मिलेगा।
लेकिन चूंकि बिल दो महीने में आता है इसलिए गरीब को या छोटे परिवार को महंगी बिजली प्रयोग करनी पड़ रही है।
एक तरफ बिजली निगम अपना फायदा देख रहा है। तो दूसरी तरफ सरकार सस्ती बिजली की घोषणा करके, एक राजनीतिक मुद्द्ा बना कर, जनता की वाह-वाही लूट रही है। लेकिन जनता को लाभ मिल ही नहीं रहा क्योंकि सरकार तो दो महीने में लोगों को बिल दे रही हैं। इसलिए जब महीने में एक बार बिल आएगा तभी आम जनता को लाभ प्राप्त होगा। सरकार कब तक जनता को अपने घोषणाओं के जाल में फंसाती रहेगी? कब जनता को अपनी दी हुई पूंजी का सही लाभ प्राप्त होगा?
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क्यों राहुल गांधी बिना किसी बात के भी फंस जाते हैं?

आई ए एस अधिकारी टीना डाबी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर सोशल मीडिया में ट्रोल हो गए हैं। खबर बस इतनी है कि दलित समाज से आने वाली टीना मुस्लिम समाज से आने वाले अपने पति अतहर से तलाक ले रहीं हैं।
दिल्ली शहर की रहने वाली 24 वर्षीय टीना डाबी जो 2015 की सिविल परीक्षा में टाॅप करके आई ए एस अधिकारी बनी थी। उन्होंने कश्मीर के मटट्न नामक शहर में रहने वाले अतहर खान से शादी कर ली जो उसी परीक्षा में दूसरे स्थान पर था।
टीना पहली दलित महिला थी जिसने यूपीएससी की परीक्षा में टाॅप किया था।
टीना और अतहर की शादीशुदा जोड़ी को उनके विवाह के दौरान जय भीम और जय मीम की एकता, मुस्लमान और दलितों के बीच में सबधों की मिसाल बताया गया था। उस समय राहुल गांधी ने स्वंय अपने ट्वीटर अकांउट से ट्वीट करते हुए कहा था कि ये जोड़ी मिसाल कायम करेगी। यह हिंदू, मुस्लमानों की एकता का प्रतीक है।
लेकिन आपसी मतभेदों के कारण जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में इस जोड़ी ने तलाक की अर्जी दाखिल की है। अब ये जोड़ी तलाक ले रही हैं और लोग राहुल गांधी को लानत दे रहे हैं ‘दिख गई सहजता। दिखा लिया भाईचारा।।‘
आज कांग्रेस की जो हालत है या राहुल गांधी की जो हालत है वो इस वजह से है क्योंकि राहुल ने हर मुद्दे में केवल जाति व धर्म का एंगल खोजा और उसका तुष्टीकरण किया। उन्होंने सर्व समाज से बातें करने में हमेशा परहेज किया। केवल धर्म और जातियों में खास दृष्टिकोण खोजते रहे।
अब तक देखने में आया है कि घटना किसी दलित के साथ हुई है तो वह एक्शन लंेगे और यदि वह दलित कांग्रेस शासित राज्य में है तो एक्शन नहीं लेंगे। उसी प्रकार कोई घटना मुस्लिम के साथ है तो वह आवाज उठाएंगे और यदि वह मुस्लिम अपने शासित राज्य में है तो वो आवाज दबा दंेगे।
इसी कारण से कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि लोग उन्हें धर्म और जाति का मुद्दा उठते ही लोग लानत देने लगते हैं।