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तो ऐसे चलेगी हरियाणा की सरकार, खट्टर साहब!

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शकुन रघुवंशी

एक अधिकारी के कार्यालय का पता करने के लिए किए पांच नंबरों पर कॉल
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार (वैसे तो वह लाल लिखना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि हरियाणा में लालों की लंबी कहानी रही है।) कुछ ऐसे काम कर रही है कि आम आदमी चक्करघन्नी बन जाए। अब यह फिजूल की बात होगी कि चक्करघन्नी शासन बना रहा है अथवा प्रशासन क्योंकि प्रशासन भी तो शासन के इशारे पर ही काम करता है भैया। यदि कोई यह कहकर बचना चाहे कि प्रशासन किन्हीं कारणों से शासन के कहने पर काम नहीं कर रहा है तो समझो गई भैंस पानी में।
मुझे किसी कार्य के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा का नाम और पता की आवश्यकता पड़ी। जिसके लिए मैंने बहुत सोचकर सीएम हरियाणा के सोशल मीडिया टीम के एक सदस्य पूर्व पत्रकार को फोन कर दिया। चांस की बात है कि वह हमारे ही जिले का जूनियर पत्रकार था जो पंचकूला शिफ्ट होने से पहले बड़ी इज्जत करता था। भाई ने चौथे बार कॉल करने पर उठाया, तो मैंने स्वभाववश उनसे कह दिया, नमस्कार भाई, फोन उठाने के लिए शुक्रिया। पता नहीं क्यों, या पंचकूला का असर था या सीएम सचिवालय का। बोले, आपका यह बोलना अच्छा नहीं लगा। मैं तो सबके फोन उठाता हूं, बेशक मेरे फोन में मिस कॉल नजर नहीं आती हैं। मैंने उन्हें याद दिलाया कि यह आपके फोन की गलती है, मैं आपसे चौथे प्रयास में बात कर पा रहा हूं इसलिए शुक्रिया कह रहा हूं।
खैर, मैंने उनसे कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग हरियाणा का नाम और पता की आवश्यकता है, क्या आपसे मिल जाएगा।
वो बोले, सीएम ऑफिस की लैंडलाइन से ले लो।
मैंने सीएम ऑफिस की लैंडलाइन नंबर 0172-2749396 पर कॉल किया। जहां मुझे बताया कि सीएम रेजिडेंस से जानकारी ले लो। मैंने सीएम रेजिडेंस की लैंडलाइन नंबर 0172-2749395 पर कॉल कर जानकारी मांगी तो मुझे एक और नंबर दे दिया गया कि उस पर जानकारी मिलेगी।
मैंने दिए गए नंबर 0172-2740875 पर अनेक बार डायल किया लेकिन यह नंबर व्यस्त रहा। वापिस मैंने सीएम रेजिडेंस की लैंडलाइन नंबर 0172-2749395 पर कॉल कर उपरोक्त जानकारी मांगी और कहा कि मैं पत्रकार हूं। इस पर एक और नंबर 0172-2741547 दिया गया। जिस पर कॉल कर मुझे पता चला कि गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एसएस प्रसाद हैं जो कमरा नंबर 47 नौवीं मंजिल चंडीगढ़ सचिवालय में बैठते हैं।
खैर, मेरा सवाल यह है कि यह अधिकारी का पता अथवा नंबर पता करने के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ रही है तो आम जनता का क्या हाल हो रहा होगा। यह समझना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन यह इतनी अच्छी बात भी नहीं है। कृपया संबंधित पक्ष ध्यान देवें।

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देश जानना चाहता है कि प्रधानमंत्री नेहरू ने क्या शपथ ली थी

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आरटीआई कार्यकर्ता एवं गांधीवादी नरेश कादियान ने पूछा देश के पहले प्रधानमंत्री कहे जाने वाले जवाहर लाल नेहरू की शपथ मुहैया करवाए सरकार

शकुन रघुवंशी
फरीदाबाद। गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश कादियान जानना चाहते हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी शपथ में क्या कहा था लेकिन उन्हें सरकार, राष्ट्रपति भवन सचिवालय और एनसीईआरटी यह सूचना देने के बजाय यहां से वहां टाल रहे हैं।
कादियान ने यह भी कहा कि यह कैसी सरकार है जो सरकारी जानकारी देने से मना कर रही है। दरअसल कादियान ने केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव से आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री कौन था और उन्होंने अपनी पहली शपथ में क्या कहा था। वह कहते हैं कि आजाद देश के नागरिकों को यह जानने का हक है कि उनका पहला प्रधानमंत्री कहे जाने वाला व्यक्ति अपनी शपथ में क्या कह रहा है। यह जानकारी तो सार्वजनिक होनी चाहिए। लेकिन उनकी आरटीआई को पहले तो राष्ट्रपति भवन सचिवालय को ट्रांसफर कर दिया गया और वहां से रिजेक्ट कर दिया गया। उन्होंने देश में शैक्षिक पाठ्यक्रम तैयार करने वाले एनसीईआरटी ने भी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कह कर जानकारी देने से मना कर दिया है।

राष्ट्रपति भवन सचिवालय ने भी सूचना देने से मना कर दिया 


नरेश कादियान ने बताया कि हमें पढ़ाया जाता है कि आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने ब्रिटिश राजा के नाम शपथ लेकर अपना प्रधानमंत्रित्वकाल प्रारंभ किया था। जिसका अर्थ स्पष्ट है कि वह ब्रिटिश शासन के प्रधानमंत्री थे न कि आजाद भारत के। कादियान ने यह भी बताया कि 26 जनवरी 1950 के बाद अंग्रेजी हुकूमत में कार्यरत रहे कर्मचारियों अधिकारियों को इंगलैंड जाने के बाद ताउम्र भारत सरकार पैंशन देती रही। जो कि एक प्रकार की गुलामी मानसिकता को दर्शाता है। अथवा अंग्रेजी हुकूमत के निर्देशों को मानना दिखाता है।
कादियान का दावा है कि भारत का पहला प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस थे जिन्होंने गोवा अधिवेशन में भारत को आजाद और स्वयं को उसका प्रधानमंत्री घोषित किया था। ऐसे में सरकार स्पष्ट कर दे कि वह किसे आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री मानती है। उसे इसमें दिक्कत क्या है। नरेश कादियान पूछते हैं कि यह कैसी राष्ट्रवादी सरकार है जो सामान्य सूचनाएं भी नहीं दे रही है। केवल मेरी आरटीआई को एक जगह से दूसरी जगह भेजकर भटकाया जा रहा है।

एनसीईआरटी से क्या पूछा था नरेश कादियान ने 

1. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 की प्रतियाँ प्रदान करें।
2. ब्रिटेन के सम्राट, भारत नामक एक डोमिनियन राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 15-8-1947 को श्री जवाहर लाल और उनके मंत्रिमंडल द्वारा ली गई शपथ की प्रतियाँ प्रदान करें।
3. ब्रिटेन के सम्राट, भारत नामक एक डोमिनियन राज्य के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा 26-1-1950 को श्री जवाहर 4. लाल और उनके मंत्रिमंडल द्वारा भारतीय संविधान को लागू करने के पश्चात ली गई शपथ की प्रतियाँ प्रदान करें।
हमारी नई पीढ़ी को सत्य सिखाने के लिए पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम की शुरूआत की प्रतियाँ प्रदान करें।

लेकिन एनसीईआरटी ने चारों जानकारियां देने से इंकार कर दिया (copy attached)


नेताजी सुभाष संग्रहालय में भी सारी सूचनाएं हैं, उन्हें कानूनी अमलीजामा पहना दे सरकार
नरेश कादियान का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष संग्रहालय का उद्घाटन किया था। इस संग्रहालय में भी इस बारे में लिखा है कि नेताजी ने स्वयं को आजाद भारत का प्रधानमंत्री घोषित किया था। इसे रिकॉर्ड पर मान लेने में सरकार को क्या दिक्कत है।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि :
आर्यन पेशवा के नाम से मशहूर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने भी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान काबुल में रहते खुद को आजाद भारत की कार्यकारी सरकार का राष्ट्रपति और मौलाना बरकतुल्ला खां को प्रधानमंत्री घोषित किया था।

उन्होंने बाद में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी गठित भारतीय कार्यकारी बोर्ड की स्थापना की थी। वह हाथरस रियासत में जन्मे थे और भारत की आजादी के बाद संसद सदस्य भी रहे।
सवाल यह भी है कि
भारत की सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु घोषित कर उन्हें शहीद का दर्जा देने में देरी क्यों कर रही है

जबकि नेताजी के परिजन भी इसके लिए गुहार लगा चुके हैं।

नरेश कादियान के साथ WhiteMirchi’s टेलिफोन वार्ता का ऑडियो

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Exclusive : एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर ठगों की लूट का मायाजाल

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जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देकर पैसे देने के लिए कर देते हैं मजबूर
उत्तर प्रदेश बिहार के बेरोजगार लडकों ने दुनिया भर में फैलाया ऑनलाइन लूट का कारोबार
व्हाइटमिर्ची डॉट कॉम के अंडर कवर एजेंट ने किया स्टिंग ऑपरेशन

शकुन रघुवंशी
फरीदाबाद। अगर आपको भी दुनिया के पहले जरायम धंधे में स्वाद आता है तो यह खबर आपके लिए ही है। इस बार यदि आप ऑनलाइन देह तलाश रहे हों तो जरा संभल कर रहें। सबसे पहले तो यह कि यह धंधा चूंकि गैरकानूनी है तो आपको कानूनी मदद पाने के लिए बगलें झांकना पड़ सकता है, दूसरा यह कि कोई गारंटी नहीं है कि आपकी रंगीनी आपको कितनी महंगी पड़ सकती है।
व्हाइटमिर्ची टीम को जानकारी मिली थी कि ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस देने वालों के बीच शातिर ठगों ने अपनी पैठ बना ली है। यह वास्तव में हैकर हैं जो आपका नंबर मिलते ही आपके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में घुस जाते हैं और चुटकियोंं में आपकी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। वह ग्राहक से सौदा कन्फर्मेशन के नाम पर बहुत कम पैसों की मांग करते हैं जो अमूृमन लोग दे बैठते हैं और यहीं से आदमी की गर्दन उनके हाथ आ जाती है।
जैसे ही व्यक्ति ऑनलाइन (यूपीआई के जरिए) पेमेंट करता है, यह हैकर आईपी एड्रेस के जरिए आपका फोन, यूपीआई आदि को हैक कर लेते हैं और, और पैसों की मांग करते हैं। यदि व्यक्ति देने में आनाकानी करता है तो यह सीधे उसे धमकाने पर उतर आते हैं। उसकी जिंदगी बर्बाद करने की धमकी देने लगते हैं। उसके परिवार के न्यूड फोटो सोशल मीडिया पर, एस्कॉर्ट साइट्स पर वायरल करने की धमकी देने लगते हैं। यहां यह नहीं कहा जा सकता है कि आप उनके दबाव में कहां तक जा सकते हैं।
हमारे एक दर्शक ने हमें उसके साथ भी ऐसा कुछ होने की बात बताकर कुछ करने की दुहाई दी। वह स्वयं भुक्तभोगी था और हजारों रुपया लुटाने के बाद किसी प्रकार हाथ पैर जोडक़र ठगों के चंगुल से बचकर निकला था। हमें एक नंबर दिया गया जिसके जरिए हमारे अंडर कवर रिपोर्टर ने संपर्क साधा और एजेंट से एस्कॉर्ट सर्विस की मांग की। एजेंट ने बहुत सामान्य भाषा में नॉमिनल रेट पर सर्विस देने की बात कही। इतनी मीठी जुबान कि कोई भी फ्लैट हो जाए।
15 मिनट में एस्कॉर्ट को भेजने की बात कहकर एजेंट अपनी वर्किंग एथिक्स पर उतर आया और उसने 500 रुपये कन्फर्मेशन के नाम पर मांगे। जब हमारे रिपोर्टर ने उसे एडवांस पैसे देने से मना कर दिया तो वह रिरियाने लगा, दुहाई देने लगा कि आप पहली बार सर्विस ले रहे हैं तो कन्फर्मेशन अमाउंट तो देना ही होगा, सरजी। आप एक बार सर्विस लेंगे तो जिंदगी भर याद रखेंगे। (रखना ही पड़ता, आई एम जोकिंग)


रिपोर्टर ने उस एजेंट को साफ मना कर दिया और एस्कॉर्ट को ही पूरा पेमेंट देने की बात कही। इस पर ठग अपने असली रूप में आ गया और 500 रुपये देकर मामले को रफा दफा करने की बात कहने लगा। रिपोर्टर ने उसे समझाया कि वह पैसे नहीं देगा। इतना कहते ही ठग रौद्र रूप दिखाने लगा।

पुरबिया भाषा में बोला कि तेरा फोटो एस्कॉर्ट सर्विस में डाल रहा हूं और नंबर पुलिस चौकी में भेज रहा हूं। 2 मिनट वेट कर, 500 पेमेंट करके मैटर क्लोज करो नहीं तो मां चु…वा दंूगा, मादर…द। पेमेंट कैसे करेगा, सो बोल, फास्ट। नहीं तो लाइफ बर्बाद करके रख दूंगा। मादर…द।


देखते देखते हैकर ने मोबाइल नंबर (जो कि रिपोर्टर का नहीं बल्कि कंपनी का नंबर था) से सोशल मीडिया पर संबंधित कुछ फोटो व्हाट्सऐप कर दिए। बोला, इज्जत से बोल रहा हूं बेटा पेमेंट करके मैटर क्लोज करो, नहीं तो तुम्हारा मां चु..वा दूंगा। इसके बाद हैकर ने रिपोर्टर के परिवार की महिलाओं के नाम पर बहुत कुछ गंदा गंदा कहा।
हैकर सांस न ले रहा है और न लेने दे रहा है। लगातार धमका रहा है कि पैसे दे, नहीं तो तेरे को इतने कॉल आएंगे दुनिया भर से कि तेरी जिंदगी नरक हो जाएगी। इसके बाद लगातार मोबाइल बजने लगा। बहुत सारे कॉल, अलग अलग नंबरों से आने लगे। मतलब साफ है कि हैकर उर्फ ठग भाई साहब ने माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी।


लेकिन सबसे पहले तो रिपोर्टर को पता था कि यह नंबर उसका नहीं, कंपनी का है। इसलिए इस नंबर पर उसकी कोई जानकारी साझा नहीं है। बहुत ज्यादा दिक्कत हो भी गई तो कंपनी दूसरी सिम ले लेगी। दूसरी बात, हैकर द्वारा भेजे गए फोटो उस नंबर के साथ एसोसिएटड थे, न कि रिपोर्टर के। तीसरी बात, ऐसे हैकर से हम जिंदगी भर लड़ते आए हैं और अब तो पत्रकारिता भी सोशल मीडिया पर ही हो रही है तो कमोबेश जानते हैं कि कौन हमारा कितना बिगाड़ सकता है।
बरहाल, रिपोर्टर ने ठग भाई साहब को कहा कि अब तो आप गए। आपका नंबर हम साइबर क्राइम को दे रहे हैं। वही आपकी कुंडली निकालेंगे। हालांकि वह इसके बाद भी धमकाता रहा।
खबर का लब्बोलुआव यह है कि आप ऐसे अनैतिक कर्मों से बचें और यदि आपकी नीयति ने इन तक पहुंचा ही दिया है तो बिल्कुल भी घबराएं नहीं। डटकर जवाब दें, अपने परिजनों को बताएं और पुलिस की मदद लें। कैसी लगी हमारी प्रस्तुति, जरूर बताएं और हमारे चैनल को अपना सहयोग दें। इसकी खबरों को लाइक करें, खबरों पर कमेंट करें और खबरों को साझा करें। साथ साथ पेज और चैनल को भी फॉलो करें, सब्सक्राइब करें।

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अम्बेडकर मेधावी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन 20 तक

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फरीदाबाद। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग, अन्त्योदय एस.ई.डब्ल्यू.एस द्वारा चलाई जा रही डा. बी आर अम्बेडकर मेधावी छात्रवृत्ति संशोधित योजना के वर्ष 2022-23 में छात्र / छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए  ऑनलाइन आवेदन पत्र विभागीय वेबसाईट https://schemes.haryanascbc.gov.in पर प्राप्त करने की अन्तिम तिथि 10 फरवरी 2023 निश्चित की गई थी। अब  20 अप्रैल 2023 त्रुटि दूर करके आवेदन पत्रों को ऑनलाइन कर सकते है।
जबकि वर्ष 2022- 2023 में प्राप्त जिन आवेदन पत्रों में त्रुटि पाई गई थी। ऐसे आवेदन पत्रों को त्रुटि के कारण सहित सैंड बैंक कर दिया गया था। ऐसे छात्र / छात्रा अपने सैंड बैंक आवेदन पत्र में दर्शाई गई त्रुटि को https://schemes.haryanascbc.gov.in की ऑनलाइन साईट पर Citizen Login के ऑप्शन पर जाकर स्वयं व सी०एस०सी० सेंटर / अंत्योदय केंद्र के माध्यम से पर सरल आईडी व पासवर्ड 123456 भरकर अपलोड करवाना सुनिश्चित करें।
जिला कल्याण अधिकारी राजबीर शर्मा ने बताया कि इस दौरान यदि कोई भी छात्र / छात्रा अपने आवेदन पत्र की त्रुटि दूर नहीं कर पाया तो उस आवेदन पत्र को निश्चित तिथि के बाद रद्द माना जायेगा। जिनके लिये निम्न विवरण शर्तों का पालन किया जाना है। उक्त योजना के तहत छात्र/छात्रा द्वारा पास की गई कक्षा की मार्कशीट, रिहायशी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक खाता, अगली कक्षा का आई०डी० कार्ड तथा माता-पिता या अभिभावक की 04 लाख से कम का आय प्रमाण होना अनिवार्य है। निर्धारित तिथि के बाद प्राप्त आवेदन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जायेगा।
अधिक जानकारी के लिये जिला कल्याण अधिकारी, कार्यालय कमरा न 408-409, चौथी मंजिल लघु सचिवालय सेक्टर 12 में 0129-2285175 पर सम्पर्क करें।

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