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जनप्रतिनिधि से इतनी फटती क्यों है आपकी !

whitemirchi.com | Faridabad
फरीदाबाद। आजकल पानी की समस्या को लेकर रोज ही किसी न किसी अधिकारी के घेराव और सड़कों पर जाम लगाने की जानकारियां सामने आ रही हैं। लेकिन हम पूछते हैं जनाब आप इन अधिकारियों पर कहर बरपाने के बजाय अपने जनप्रतिनिधियों (मंत्री, दर्जा मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद, पंचायत प्रतिनिधि आदि) के कपड़े क्यों नहीं फाड़ते हो, जो अपने आपको आपका सेवक भी बताते हैं और आपके हुक्मरान बने हुए हैं। सवाल यह भी है कि आपकी जनप्रतिनिधि से इतनी फटती क्यों है।
अधिकारियों के दफ्तरों में घुस जाना और उनके साथ हर तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करना जहां जनता को अपना जन्मसिद्ध अधिकार लगता है, वहीं जनप्रतिनिधि के सामने इनकी बत्तीसी दिखनी बंद नहीं होती है। जिसको बैनर, पोस्टर लगाकर अपना प्रतिनिधि चुना था कि वह हमारी समस्याओं को दूर करवाएगा, उसके दरवाजे पर समस्या का समाधान मांगने के लिए नहीं जाते हैं। जाते हैं उस अधिकारी के कार्यालय पर जो इन्हीं जनप्रतिनिधि के कहे बिना कोई काम करेगा ही नहीं। यह उसकी मजबूरी भी, कत्र्तव्य भी और संवैधानिक पहलू भी यही है।
पिछले दिनों एक महिला अधिकारी के एक कथित बाउंसर के साथ शिकायतकर्ताओं की कहासुनी हो गई। अगर हम मान भी लें कि बाउंसर मैडम संयुक्त आयुक्त का ही था, तो उसकी तो इतनी ही ड्यूटी है कि वह अपने नियोक्ता की हर हाल में सुरक्षा करे और उसके रहते कोई उससे बदअदबी न कर सके। वास्तव में वहां क्या हालात थे, क्या हुआ। हम इसमें नहीं जाना चाहते। यह जांच की बातें हैं और हम कोई जांच अधिकारी नहीं हैं।
लेकिन एक अमन पसंद शहरी होने के नाते हम इतना ही कहना चाहते हैं कि जनता के पास बड़ा हथियार है कि वह जनप्रतिनिधि को घेरे और कहे कि फलां काम नहीं हो रहा है, वह संबंधित अधिकारी को काम के लिए कहेगा। तब इस प्रकार की बदअदबी के मामले भी सामने नहीं आएंगे। आखिर आपने अपना प्रतिनधि चुना ही क्यों था। जब उसके सामने जाने में आपकी फटती है साहब।
मुद्दा है नगर निगम चुनाव
आजकल नगर निगम चुनावों का शोर भी सिर चढ़कर बोल रहा है। जिस स्थानीय व्यक्ति को चार लोग सलाम करने लगते हैं, वह सोचता है कि पार्षद बन ही जाए। वह वोटों का हिसाब जुटा लेता है और फिर चेहरा मेकअप करवाकर इस प्रकार के जनसमस्याओं को लेकर अधिकारियों का घेराव और सड़कों को जाम करना शुरू कर देता है। यदि अधिकांश मामलों में यह बात सही न हो तो बताओ।
तो जाओ और अपने जनप्रतिनिधियों को समझाओ, आप हमारे सेवक हैं, हुक्मरान नहीं। जनतंत्र में जनता हुक्मरान होती है।
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नगर निगम ने फरीदाबाद शहर को बना दिया कूड़े का ढेर – जसवंत पवार

वैसे तो फरीदाबाद शहर को अब स्मार्ट सीटी का दर्जा प्राप्त हो चूका है, परन्तु शहर के सड़कों पर गंदगी के ढेर फरीदाबाद प्रशासन और नगर को आइना दिखा रहे हैं
शहर के अलग अलग मुख्य चौराहों और सड़कों पर पढ़े कूड़े के ढेर को लेकर समाज सेवी जसवंत पवार ने फरीदाबाद प्रशासन और नगर निगम कमिश्नर से पूछा है कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत मुहिम को पूरे देश में चला रहे हैं वही नगर निगम इस पर पानी फेरता दिख रहे हैं फरीदाबाद में आज सड़कों पर देखे तो गंदगी के ढेर लगे हुए हैं पूरे शहर को इन्होंने गंदगी का ढेर बना दिया है। जिसके चलते फरीदाबाद शहर अभी तक एक बार भी स्वछता सर्वेक्षण में अपनी कोई अहम् भूमिका अदा नहीं कर पा रहा, अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारा फरीदाबाद शहर स्वच्छता सर्वे में फिर से फिसड्डी आएगा। साल 2021 में स्वछता सर्वेक्षण 1 मार्च से 28 मार्च तक किया जाना है जिसको लेकर लगता नहीं की जिला प्रसाशन व फरीदाबाद के नेता और मंत्री फरीदाबाद शहर की स्वछता को लेकर बिल्कुल भी चिंतित दिखाई नहीं पढ़ते है।
जसवन्त पंवार ने फरीदाबाद वासियों से अनुरोध और निवेदन किया है अगर हमें अपना शहर स्वच्छ और सुंदर बनाना है तो हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे जहां पर भी गंदगी के ढेर हैं आप वीडियो बनाएं सेल्फी ले फोटो खींचे और नेताओं और प्रशासन तक उसे पहुंचाएं, हमें जागरूक होना होगा तभी जाकर यह फरीदाबाद शहर हमारा स्वच्छ बन पाएगा। आप हमें इस नंबर पर वीडियो और फोटो भेज सकते हैं
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क्यों हर दो महीने में आता है बिजली का बिल?

हम सभी अपने कुछ रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली चीजों के बिलों का भुगतान हर महीने करते हैं। जैसे बैकों की किश्तंे, घर का किराया इत्यादि। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है कि जब हर चीज का भुगतान हम महीने दर महीने करते हैं। तो बिजली के बिल का ही भुगतान हर दो महीने में क्यों?
इस पर बिजली निगम का कहना है कि बिलिंग प्रक्रिया से जुड़ी एक लागत होती है। जिसमें मीटर रीड़िंग की लागत, कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में रीडिंग फीड़ करने की लागत, बिल जेनरेशन की लागत, प्रिंटिग और बिलों को वितरित करने की लागत आदि चीजें शामिल होती हैं। इन लागतों को कम करने के लिए बिलिंग की जाती हैं। इसलिए बिजली बिल 2 महीने में आता है।
फिलहाल बिजली निगम 0-50 यूनिट तक 1.45 रूपये प्रति यूनिट, 51-100 यूनिट तक 2.60 रूपये प्रति यूनिट चार्ज करता है।
आप यह अनुमान लगाइए कि यदि किसी छोटे परिवार की यूनिट 50 से कम आती है। तो उसका चार्ज 1.45 रूपये प्रति यूनिट होगा लेकिन जब बिल दो महीने में जारी होगा। तो उसका 100 यूनिट से उपर बिल आएगा। मतलब साफ है कि उसे प्रति यूनिट चार्ज 2.60 रूपये देना होगा । ऐसे में उस गरीब को सरकार की छूट का लाभ नहीं मिला लेकिन सरकार ने पूरी वाह-वाही लूट ली।
आप यह बताइए जिस घर में सदस्य कम है। तो उस घर की बिजली खपत भी कम होगी और बिल भी कम ही आएगा। मतलब साफ है उपयोग कम तो यूनिट भी कम। यदि बिजली बिल एक महीने में आता है तभी ही तो जनता को इसका लाभ मिलेगा।
लेकिन चूंकि बिल दो महीने में आता है इसलिए गरीब को या छोटे परिवार को महंगी बिजली प्रयोग करनी पड़ रही है।
एक तरफ बिजली निगम अपना फायदा देख रहा है। तो दूसरी तरफ सरकार सस्ती बिजली की घोषणा करके, एक राजनीतिक मुद्द्ा बना कर, जनता की वाह-वाही लूट रही है। लेकिन जनता को लाभ मिल ही नहीं रहा क्योंकि सरकार तो दो महीने में लोगों को बिल दे रही हैं। इसलिए जब महीने में एक बार बिल आएगा तभी आम जनता को लाभ प्राप्त होगा। सरकार कब तक जनता को अपने घोषणाओं के जाल में फंसाती रहेगी? कब जनता को अपनी दी हुई पूंजी का सही लाभ प्राप्त होगा?
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क्यों राहुल गांधी बिना किसी बात के भी फंस जाते हैं?

आई ए एस अधिकारी टीना डाबी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर सोशल मीडिया में ट्रोल हो गए हैं। खबर बस इतनी है कि दलित समाज से आने वाली टीना मुस्लिम समाज से आने वाले अपने पति अतहर से तलाक ले रहीं हैं।
दिल्ली शहर की रहने वाली 24 वर्षीय टीना डाबी जो 2015 की सिविल परीक्षा में टाॅप करके आई ए एस अधिकारी बनी थी। उन्होंने कश्मीर के मटट्न नामक शहर में रहने वाले अतहर खान से शादी कर ली जो उसी परीक्षा में दूसरे स्थान पर था।
टीना पहली दलित महिला थी जिसने यूपीएससी की परीक्षा में टाॅप किया था।
टीना और अतहर की शादीशुदा जोड़ी को उनके विवाह के दौरान जय भीम और जय मीम की एकता, मुस्लमान और दलितों के बीच में सबधों की मिसाल बताया गया था। उस समय राहुल गांधी ने स्वंय अपने ट्वीटर अकांउट से ट्वीट करते हुए कहा था कि ये जोड़ी मिसाल कायम करेगी। यह हिंदू, मुस्लमानों की एकता का प्रतीक है।
लेकिन आपसी मतभेदों के कारण जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में इस जोड़ी ने तलाक की अर्जी दाखिल की है। अब ये जोड़ी तलाक ले रही हैं और लोग राहुल गांधी को लानत दे रहे हैं ‘दिख गई सहजता। दिखा लिया भाईचारा।।‘
आज कांग्रेस की जो हालत है या राहुल गांधी की जो हालत है वो इस वजह से है क्योंकि राहुल ने हर मुद्दे में केवल जाति व धर्म का एंगल खोजा और उसका तुष्टीकरण किया। उन्होंने सर्व समाज से बातें करने में हमेशा परहेज किया। केवल धर्म और जातियों में खास दृष्टिकोण खोजते रहे।
अब तक देखने में आया है कि घटना किसी दलित के साथ हुई है तो वह एक्शन लंेगे और यदि वह दलित कांग्रेस शासित राज्य में है तो एक्शन नहीं लेंगे। उसी प्रकार कोई घटना मुस्लिम के साथ है तो वह आवाज उठाएंगे और यदि वह मुस्लिम अपने शासित राज्य में है तो वो आवाज दबा दंेगे।
इसी कारण से कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि लोग उन्हें धर्म और जाति का मुद्दा उठते ही लोग लानत देने लगते हैं।