बक Lol
तो फिर कहाँ मुहं छुपाएंगे पत्रकार और नेताजी

whitemirchi.com | Faridabad
फरीदाबाद। जिले के सुनपेड कांड में जो बातें छानकर बाहर आ रही है उनसे तो मामला यमुनानगर जैसा नजर आ रहा है। अभी तक की जांच में सुनपेड कांड की जाँच की आंच पीड़ित की ओर आती दिख रही है। लेकिन नेताजी और मीडियाकर्मी पानी पी पीकर इसे दलित ठाकुरों का मामला साबित करने पर आमादा दिख रही है। अगर फोरेंसिक की रिपोर्ट सही साबित हुयी तो ये लोग कहाँ मुहं छुपाएंगे। जैसा कि यमुनानगर में हो गया है।
अपने पाठकों को बता दें कि हरियाणा के यमुनानगर जिले के दौलतपुर गांव के रहने वाले रजत की जलने से मौत हो गयी थी। इस मामले को इतने सनसनीखेज तरीके से मीडिया और नेताओं ने पेश किया कि जैसे प्रदेश में दलितों के खिलाफ कोई संगठित समूह कार्य कर रहा है लेकिन पुलिस जांच में साफ हुआ है कि मृतक रजत ने परिवार के साथ झगड़ा कर खुद को आग लगाई थी। उसे मारा नहीं गया था। यह खुलासा डीएसपी अजय राणा ने जांच के बाद किया है। डीएसपी राणा ने बताया कि पुलिस ने रजत की मौत के मामले में जांच की तो सामने आया कि यह मामला हत्या का नहीं बल्कि पारिवारिक विवाद के बाद सुसाइड का है। खास बात ये है कि मामले में दोनों ही पक्ष दलित हैं। डीएसपी अजय राणा ने बताया कि मंगलवार रात करीब आठ बजे मृतक रजत के भाई ने रादौर एसएचओ को फोन किया कि उसका भाई उसके पिता के साथ झगड़ा कर रहा है। वह कुछ भी कर सकता है। पुलिस को गांव में भेज दें। एसएचओ ने तुरंत गांव में पुलिस को भेज दिया। जब पुलिस वहां पर पहुंची तो रजत आग की लपटों में था। उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई ग्रामीण तैयार नहीं था। पुलिस रादौर अस्पताल में उसे खुद लेकर आई। मृतक के भाई का फोन यह साबित करता है कि रजत ने सुसाइड किया है।
दूसरी ओर मृतक रजत के पिता ने जिन पर हत्या का आरोप लगाया है उनकी झगड़े के मामले में उसी शाम रात साढ़े सात बजे जगाधरी जेल से जमानत हुई। जब घटना हुई, उस समय उनकी फोन लोकेशन गांव सिंकदरा की है। ऐसे में पुलिस का कहना है कि कोई व्यक्ति सिकंदरा में रहते हुए दौलतपुर में हत्या कैसे कर सकता है। इन सब बातों के आधार पर आरोप झूठे पाए गए। अब पुलिस हत्या के आरोप में नामजद लोगों पर केस वापस लेगी।
अब बात करें सुनपेड मामले की जिसमे आरोपी बनाये गए लोग दूसरी जाती के है जिससे इस मामले को दलित ठाकुरों का बनाकर पेश किया गया है। अगर ये सच भी है तो ये मामला पुरानी रंजिस का कहलायेगा न कि दलित उत्पीड़न का जैसा कि इसे पेश किया जा रहा है। मामले में अभी तक की जाँच अनेक सवाल खड़े कर रही है कि 15 मीटर पर हो रहे जागरण के बावजूद किसी ने हमलावर नहीं देखे, उसी जगह पर आग क्यों लगी जहा बच्चे थे, आग केरोसिन तेल से लगी और रिपोर्ट के अनुसार तेल सर से डाला गया जो कि खिड़की के बाहर से डालना संभव नहीं है, जितेंदर को अधिक आग नहीं लगी जबकि महिला और उसके बच्चों को ज्यादा आग लगी, 70 वर्षीया आरोपी ग्रिल कैसे कूदा, कमजोर ग्रिल टूटी क्यों नहीं, जाँच रिपोर्ट के अनुसार घटना वाले कमरे की कुण्डी बाहर से नहीं लगी थी जबकि पीड़ित का आरोप है कि उनके कमरे को कुण्डी लगाकर खिड़की से पेट्रोल फेंककर उन्हें आग लगाई गयी।
लखनऊ भारतीय समन्वय संगठन (लक्ष्य)” के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने हरियाणा के जिला फरीदाबाद के गावं सुनपेड की अमानवीय घटना को लेकर एक विरोध प्रदर्शन कर रैली निकली । यह प्रदर्शन सुबह 11 बजे जानकीपुरम के मुलायम तिराहा से चलकर इंजीनियरिंग कॉलेज चौहरा पर समाप्त हुआ । रैली में लोगो ने हरियाणा सरकार, भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. के. सिंह व् सामंतवाद के खिलाफ नारे लगाये और हरियाणा के मुख्यमंत्री व् भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. के. सिंह का पुतला फूंककर रोष प्रकट किया गया |
बक Lol
नगर निगम ने फरीदाबाद शहर को बना दिया कूड़े का ढेर – जसवंत पवार

वैसे तो फरीदाबाद शहर को अब स्मार्ट सीटी का दर्जा प्राप्त हो चूका है, परन्तु शहर के सड़कों पर गंदगी के ढेर फरीदाबाद प्रशासन और नगर को आइना दिखा रहे हैं
शहर के अलग अलग मुख्य चौराहों और सड़कों पर पढ़े कूड़े के ढेर को लेकर समाज सेवी जसवंत पवार ने फरीदाबाद प्रशासन और नगर निगम कमिश्नर से पूछा है कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत मुहिम को पूरे देश में चला रहे हैं वही नगर निगम इस पर पानी फेरता दिख रहे हैं फरीदाबाद में आज सड़कों पर देखे तो गंदगी के ढेर लगे हुए हैं पूरे शहर को इन्होंने गंदगी का ढेर बना दिया है। जिसके चलते फरीदाबाद शहर अभी तक एक बार भी स्वछता सर्वेक्षण में अपनी कोई अहम् भूमिका अदा नहीं कर पा रहा, अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारा फरीदाबाद शहर स्वच्छता सर्वे में फिर से फिसड्डी आएगा। साल 2021 में स्वछता सर्वेक्षण 1 मार्च से 28 मार्च तक किया जाना है जिसको लेकर लगता नहीं की जिला प्रसाशन व फरीदाबाद के नेता और मंत्री फरीदाबाद शहर की स्वछता को लेकर बिल्कुल भी चिंतित दिखाई नहीं पढ़ते है।
जसवन्त पंवार ने फरीदाबाद वासियों से अनुरोध और निवेदन किया है अगर हमें अपना शहर स्वच्छ और सुंदर बनाना है तो हम सबको मिलकर प्रयास करने होंगे जहां पर भी गंदगी के ढेर हैं आप वीडियो बनाएं सेल्फी ले फोटो खींचे और नेताओं और प्रशासन तक उसे पहुंचाएं, हमें जागरूक होना होगा तभी जाकर यह फरीदाबाद शहर हमारा स्वच्छ बन पाएगा। आप हमें इस नंबर पर वीडियो और फोटो भेज सकते हैं
बक Lol
क्यों हर दो महीने में आता है बिजली का बिल?

हम सभी अपने कुछ रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली चीजों के बिलों का भुगतान हर महीने करते हैं। जैसे बैकों की किश्तंे, घर का किराया इत्यादि। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है कि जब हर चीज का भुगतान हम महीने दर महीने करते हैं। तो बिजली के बिल का ही भुगतान हर दो महीने में क्यों?
इस पर बिजली निगम का कहना है कि बिलिंग प्रक्रिया से जुड़ी एक लागत होती है। जिसमें मीटर रीड़िंग की लागत, कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में रीडिंग फीड़ करने की लागत, बिल जेनरेशन की लागत, प्रिंटिग और बिलों को वितरित करने की लागत आदि चीजें शामिल होती हैं। इन लागतों को कम करने के लिए बिलिंग की जाती हैं। इसलिए बिजली बिल 2 महीने में आता है।
फिलहाल बिजली निगम 0-50 यूनिट तक 1.45 रूपये प्रति यूनिट, 51-100 यूनिट तक 2.60 रूपये प्रति यूनिट चार्ज करता है।
आप यह अनुमान लगाइए कि यदि किसी छोटे परिवार की यूनिट 50 से कम आती है। तो उसका चार्ज 1.45 रूपये प्रति यूनिट होगा लेकिन जब बिल दो महीने में जारी होगा। तो उसका 100 यूनिट से उपर बिल आएगा। मतलब साफ है कि उसे प्रति यूनिट चार्ज 2.60 रूपये देना होगा । ऐसे में उस गरीब को सरकार की छूट का लाभ नहीं मिला लेकिन सरकार ने पूरी वाह-वाही लूट ली।
आप यह बताइए जिस घर में सदस्य कम है। तो उस घर की बिजली खपत भी कम होगी और बिल भी कम ही आएगा। मतलब साफ है उपयोग कम तो यूनिट भी कम। यदि बिजली बिल एक महीने में आता है तभी ही तो जनता को इसका लाभ मिलेगा।
लेकिन चूंकि बिल दो महीने में आता है इसलिए गरीब को या छोटे परिवार को महंगी बिजली प्रयोग करनी पड़ रही है।
एक तरफ बिजली निगम अपना फायदा देख रहा है। तो दूसरी तरफ सरकार सस्ती बिजली की घोषणा करके, एक राजनीतिक मुद्द्ा बना कर, जनता की वाह-वाही लूट रही है। लेकिन जनता को लाभ मिल ही नहीं रहा क्योंकि सरकार तो दो महीने में लोगों को बिल दे रही हैं। इसलिए जब महीने में एक बार बिल आएगा तभी आम जनता को लाभ प्राप्त होगा। सरकार कब तक जनता को अपने घोषणाओं के जाल में फंसाती रहेगी? कब जनता को अपनी दी हुई पूंजी का सही लाभ प्राप्त होगा?
बक Lol
क्यों राहुल गांधी बिना किसी बात के भी फंस जाते हैं?

आई ए एस अधिकारी टीना डाबी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर सोशल मीडिया में ट्रोल हो गए हैं। खबर बस इतनी है कि दलित समाज से आने वाली टीना मुस्लिम समाज से आने वाले अपने पति अतहर से तलाक ले रहीं हैं।
दिल्ली शहर की रहने वाली 24 वर्षीय टीना डाबी जो 2015 की सिविल परीक्षा में टाॅप करके आई ए एस अधिकारी बनी थी। उन्होंने कश्मीर के मटट्न नामक शहर में रहने वाले अतहर खान से शादी कर ली जो उसी परीक्षा में दूसरे स्थान पर था।
टीना पहली दलित महिला थी जिसने यूपीएससी की परीक्षा में टाॅप किया था।
टीना और अतहर की शादीशुदा जोड़ी को उनके विवाह के दौरान जय भीम और जय मीम की एकता, मुस्लमान और दलितों के बीच में सबधों की मिसाल बताया गया था। उस समय राहुल गांधी ने स्वंय अपने ट्वीटर अकांउट से ट्वीट करते हुए कहा था कि ये जोड़ी मिसाल कायम करेगी। यह हिंदू, मुस्लमानों की एकता का प्रतीक है।
लेकिन आपसी मतभेदों के कारण जयपुर के पारिवारिक न्यायालय में इस जोड़ी ने तलाक की अर्जी दाखिल की है। अब ये जोड़ी तलाक ले रही हैं और लोग राहुल गांधी को लानत दे रहे हैं ‘दिख गई सहजता। दिखा लिया भाईचारा।।‘
आज कांग्रेस की जो हालत है या राहुल गांधी की जो हालत है वो इस वजह से है क्योंकि राहुल ने हर मुद्दे में केवल जाति व धर्म का एंगल खोजा और उसका तुष्टीकरण किया। उन्होंने सर्व समाज से बातें करने में हमेशा परहेज किया। केवल धर्म और जातियों में खास दृष्टिकोण खोजते रहे।
अब तक देखने में आया है कि घटना किसी दलित के साथ हुई है तो वह एक्शन लंेगे और यदि वह दलित कांग्रेस शासित राज्य में है तो एक्शन नहीं लेंगे। उसी प्रकार कोई घटना मुस्लिम के साथ है तो वह आवाज उठाएंगे और यदि वह मुस्लिम अपने शासित राज्य में है तो वो आवाज दबा दंेगे।
इसी कारण से कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि लोग उन्हें धर्म और जाति का मुद्दा उठते ही लोग लानत देने लगते हैं।