रूह-ब-रूह
फिल्मी लगती है लोगों को रोगमुक्त कराने वाले डाक्टर की कहानी
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फरीदाबाद की ग्रीनफील्ड कॉलोनी में रहने वाले डॉ. बीके चंद्रशेखर की कहानी पूरी फिल्मी लगती है, लेकिन यह एक फौजी के जुनून और परमात्मा के अनुग्रह का ऐसा मिश्रण है| जो आज हजारों अन्य को रोगमुक्ति दिला रहा है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले चंद्रशेखर वर्ष 1998 में गोरखपुर एयरबेस में तैनात थे, जब उनको कैंसर ने आ जकड़ा। वर्ष 1999 में वह दिल्ली के आर्मी अस्पताल में कैंसर का ऑपरेशन करवाने के लिए पहुंचे। कैंसर का ऑपरेशन हुआ लेकिन गलत। दूषित खून के कारण उन्हें हेपेटाइटिस सी नामक रोग भी हो गया। दोबारा ऑपरेशन हुआ। आगे के इलाज के लिए उन्हें पूना कमांड हास्पिटल में भेजा गया। इसी दौरान चंद्रशेखर स्टेज 4 ग्रेड 4 लीवर सोराससिस रोग की चपेट में आ गए। मेडिकल साइंस के अनुसार यह बीमारी लाइलाज थी। कीमो के साइड इफेक्ट से प्रभावित हो रहे चंद्रशेखर सहित उनके परिवार को लगता कि जैसे सारी आफत उन्हीं पर आ पड़ी है और अब वह बचेंगे नहीं।
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परमात्मा में आस्थावान चंद्रशेखर के एक दोस्त ने पूछा, कहां है तुम्हारा भगवान। इसके बाद वह परमात्मा में आस्था खो बैठे और गतिहीन हो गए। वह बताते हैं कि उन्हें एक चमकता प्रकाश नजर आया, जो उनसे संवाद कर रहा था। उस समय वह तय नहीं कर पा रहे थे कि यह सपना है या सच। प्रकाश कहता है तुम्हें कुछ नहीं होगा, और तुम ईश्वरीय सेवाओं का प्रयोग कर विश्व को प्रबुद्ध बनाओगे। इसके बाद उनका प्रकाश के साथ संवाद कायम हो गया। वह जो बात कहे, उसे वह बात में लिखते और स्वयं पर आजमाते। धीरे धीरे वह सभी रोगों से मुक्त हो गए और जो उनके पास लिखा हुआ था वह एक किताब इनबिसिबल डाक्टर प्रकाशित की, जो बहुत लोकप्रिय हुई। इसके बाद उन्होंने आपका स्वास्थ्य आपके हाथ, इनक्रीज योर मेमोरी नामक किताबें लिखीं और मेमोरी डेवलपमेंट कोर्स विकसित किया। चंद्रशेखर ने यह सब प्रकाश से प्राप्त जानकारी के आधार पर किया। उन्होंने इस प्रकाश को स्प्रिचुअल लाइट इनकॉरपोरियल गॉड फादर अलमाइटी यानि सिग्फा नाम दिया।
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सिग्फा ज्ञान को फैलाने के लिए उन्होंने 2008 में एयरफोर्स की नौकरी छोडक़र सिग्फा सॉल्यूशंस नाम की एनजीओ स्थापित की और इसके अंतर्गत साइको न्यूरोबिक्स नामक कोर्स विकसित किया। इस कोर्स को तमिलनाडू फिजिकल एडुकेशन एंड स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी चैन्नै, वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी राजस्थान, उत्तराखंड यूनिवर्सिटी हल्द्वानी, बैंगकॉक की रैंगसित यूनिवर्सिटी, अमेरिका के शहर फ्लोरिडा स्थित योगा संस्कृतम विश्वविद्यालयों ने बीएससी (साइको न्यूरोबिक्स) और एमएससी (साइको न्यूरोबिक्स) के रूप में मान्यता दी है। अब तक इस कोर्स को हजारों डाक्टर, इंजीनियर व छात्र कर चुके हैं। चंद्रशेखर एक साथ 1864 एमबीए छात्रों को लेक्चर देकर गिन्नीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। चंद्रशेखर की जीवन की दास्तां किसी फीनिक्स पक्षी के जैसी है जिसके बारे में कहा जाता है कि वह मरने के बाद जलकर भी राख से जी उठता है। उन्होंने अपने ज्ञान के जरिए एक महिला डाक्टर का मल्टीपल माइलोमा कैंसर ठीक किया। चंद्रशेखर कहते हैं कि वह ईश्वरीय ज्ञान एवं कृपा से ठीक हुए हैं, जिसको वह अब दूसरों में बांट रहे हैं। वह आज विश्वविख्यात साइको न्यूरोबिक्स विशेषज्ञ हैं, जो अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ प्रसन्नता से जीवन जी रहे हैं और दूसरों को खुशियां बांट रहे हैं।
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